प्राण मुद्रा
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हमारा शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है। शरीर में जल और वायु तत्व का संतुलन बिगड़ने से वात और कफ संबंधी रोग होते हैं। इन रोगों की रोकथाम के लिए ही योग में कई मुद्राओं के महत्व को बताया गया है। यहाँ प्रस्तुत है वरुण और वायु मुद्रा का संक्षिप्त परिचय।
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ज्ञान मुद्राः तर्जनी अर्थात प्रथम उँगली को अँगूठे के नुकीले भाग से स्पर्श करायें। शेष तीनों उँगलियाँ सीधी रहें।हाथ की तर्जनी (अंगूठे के साथ वाली) अंगुली के अग्रभाग (सिरे) को अंगूठे के अग्रभाग के साथ मिलाकर रखने और हल्का-सा दबाव देने से ज्ञान मुद्रा बनती है| बाकी उंगलियां सहज रूप से सीधी रखें| इस मुद्रा का सम्पूर्ण स्नायुमण्डल और मस्तिष्क पर बड़ा ही हितकारी प्रभाव पड़ता है|
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अमरीकी कोर्ट का ऐतहासिक फैसला
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